देवभूमि द्वारिका के लोगों का सालों से चला आ रहा इंतजार कल खत्म होने वाला है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल द्वारिका में देश के सबसे लंबे केबल सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन करेंगे 2.3 किलोमीटर लंबे इस केबल सेतु के निर्माण में 978
करोड़ रुपए खर्च हुए हैं यह तस्वीरें देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और नायाब नमूना तैयार हो की गवाही दे रही हैं यह सुदर्शन सेतु है जो देव भूमि द्वारका में बनकर तैयार है सुदर्शन सेतु देश का सबसे लंबा केवल सिग्नेचर ब्रिज है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 25 फरवरी को इसे राष्ट्र को समर्पित करने वाले हैं सुदर्शन सेतु के शुरू होने से पहले ही इसकी शानदार तस्वीरें सामने आई हैं ड्रोन से ली गई इन तस्वीरों में पुल विराट अद्भुत और अद्वितीय नजर आ रहा है केवल सिग्नेचर ब्रिज की रात के समय ली गई इन तस्वीरों को देखिए सुदर्शन सेतु पर की गई लाइटिंग इसे और भव्य बना रही है और लेजर लाइट ने इसकी खूबसूरती में और चार चांद लगा दिए हैं सुदर्शन सेतु के उद्घाटन और प्रधानमंत्री के आने से पहले भगवान द्वारकाधीश की नगरी में शानदार सजावट की गई सेतु पर आरती और लेजर शो का आयोजन किया गया सुदर्शन ब्रिज अपने आप में एक बहुत ही अच्छा मॉडल है और देश और दुनिया भर में सुदर्शन ब्रिज के विजुअल आजकल बहुत फेमस हुए है भगवान द्वारकाधीश जी की नगरी जन्माष्टमी के दिन जिस प्रकार से सजाई जाती है उसी प्रकार से प्रधानमंत्री जी के आगमन के पूर्व यहां के नागरिकों ने हर एक बिल्डिंग हर एक होटल हर एक धर्मशाला हर एक मंदिर पूरी नगरी को सजाया है ओखा बेट द्वारका सिग्नेचर ब्रिज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है सुदर्शन सेतु की लंबाई 2.3 किलोमीटर है यह ओखा और बेट द्वारका दीप को जोड़ता है 2017 में पीएम मोदी ने ब्रिज की आधार शिला रखी थी इस ब्रिज पर गाड़ियों की आवाजाही के लिए चार लेन हैं दोनों तरफ पैदल यात्रियों के लिए भी 2.5 मीटर का कॉरिडोर है पैदल यात्री के कॉरिडोर पर हर 10 मीटर पर पत्थर की शिला हों पर गीता ज्ञान और धार्मिक जानकारी की नक्काशी बनी है फुटपाथ पर छत भी है जो दरअसल सौर पैनल हैं जिसमें 1 मेगावाट की बिजली पैदा होती है रात के वक्त लाइटिंग के साथ काफी दूरी से यह ब्रिज देखा जा सकता है सुदर्शन सेतु के निर्माण में 978 करोड़ खर्च हुए हैं सुदर्शन सेतु के निर्माण से पहले तीर्थ यात्रियों को द्वारकाधीश मंदिर पहुंचने के लिए नाव पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन उन्हें अब नाव की सवारी नहीं करनी पड़ेगी सुदर्शन सेतु के बनने से तीर्थ यात्रियों के समय की बचत के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों के रोजगार के नए अफसर